अभिनेत्री दुर्गा खोटे को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं है। वह हिंदी व मराठी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं, जिनके अभिनय को हमेशा दर्शकों का प्यार मिला। अभिनेत्री दुर्गा खोटे ने सिनेमा में कई हिट फिल्में दीं। दुर्गा खोटे ने कई नाटकों में भी अभिनय किया और फिल्मों को लेकर सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाई। अभिनेत्री दुर्गा खोटे उन लोकप्रिय हस्तियों में से एक हैं, जो महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं।
आज दुर्गा खोटे की जयंती है। उनका जन्म 14 जनवरी 1905 के दिन हुआ था। उनका शुरुआती जीवन काफी संघर्षों से भरा था। बेहद कम उम्र में उनकी शादी हो गई थी और कुछ साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया। दुर्गा ने बहुत कम उम्र में ही काफी दुख देखे। पति की मौत के बाद दुर्गा पर दो बच्चों की जिम्मेदारी आ गई, जिसके बाद उन्होंने फिल्मों की राह पकड़ ली।
दुर्गा ने मूक फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की। यह वह दौर था, जब बोलती फिल्मों की शुरुआत हुई। पैसे की तंगी के चलते दुर्गा ने किरदार स्वीकार किया। फिल्म में दुर्गा का किरदार महज 10 मिनट का था, जिसके कारण उन्हें फिल्म की कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी । फिल्म रिलीज हुई तो खराब कंटेंट की वजह से दुर्गा को सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके बाद निर्देशक वी शांताराम की नजर दुर्गा पर पड़ी। उन्होंने अपनी फिल्म ‘अयोध्येचा राजा’ में उन्हें मुख्य पात्र ‘तारामती’ का किरदार निभाने का प्रस्ताव दिया। दुर्गा इस फिल्म से रातोंरात स्टार बन गईं।
दुर्गा खोटे ने लंबे समय तक लघु फिल्मों, विज्ञापन, वृत्त चित्रों और धारावाहिकों का भी निर्माण किया। दुर्गा खोटे ने वर्ष 1937 में ‘साथी’ नाम की एक फिल्म का निर्माण और निर्देशन भी किया। हिंदी फिल्मों में उन्हें मां की भूमिका के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। फिल्मकार के. आसिफ की बहुचर्चित फिल्म ‘मुगल ए आजम’ में उन्होंने जोधाबाई की यादगार भूमिका निभाई थी।