Bombay High Court:बच्चों को गोद लेने के मामलों की सुनवाई जारी रखेगा हाईकोर्ट, कानून संशोधन पर लगाया स्टे – Bombay High Court Stay Amendment In Juvenile Justice Act Transfer Adoption Case Ti District Magistrate

Bombay High Court:बच्चों को गोद लेने के मामलों की सुनवाई जारी रखेगा हाईकोर्ट, कानून संशोधन पर लगाया स्टे – Bombay High Court Stay Amendment In Juvenile Justice Act Transfer Adoption Case Ti District Magistrate

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– फोटो : सोशल मीडिया

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बच्चों को गोद लेने के मामलों को जिला मजिस्ट्रेट के पास भेजने के आदेश पर अंतरिम स्टे लगा दिया है। साथ ही अगली सुनवाई तक हाईकोर्ट की सिंगल बेंच को ऐसे मामलों पर सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया है। मंगलवार को दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम पटेल और एसजी दिगे की डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया। किशोर न्याय संशोधन कानून 2021 (Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Act 2021) की वैधता को चुनौती देते हुए ये याचिकाएं दाखिल की गईं थी।

बता दें कि किशोर न्याय कानून में संशोधन कर ‘कोर्ट’ शब्द को ‘जिला मजिस्ट्रेट’ से बदल दिया गया  था। जिसके बाद बच्चे गोद लेने के सभी मामले, जिनमें विदेशी मामले भी शामिल हैं, अंतिम मंजूरी के लिए जिला मजिस्ट्रेट के पास भेजने का प्रावधान कर दिया गया था। इस कानून संशोधन पर स्टे लगाने के साथ ही हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी कर इस मामले पर केंद्र सरकार का रुख जानना चाहा है। हाईकोर्ट बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि बच्चे गोद लेने के मामलों पर हाईकोर्ट जज द्वारा सुनवाई जारी रहेगी। 

यह स्टे महिला एवं बाल कल्याण विभाग, पुणे कमिश्नर के उस पत्र पर भी लागू होगा, जो हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को लिखा गया था। 30 सितंबर 2022 को भेजे गए इस पत्र में बच्चों को गोद लेने के मामले जिला मजिस्ट्रेट को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए गए थे। हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि “यह अभी तक हमारी जानकारी में नहीं आया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई में क्या किसी तरह की कोई शिकायत हुई। हमें अभी कानून में संशोधन औचित्य भी जानना है।” 

हाईकोर्ट ने कहा कि “जब तक हम याचिकाओं पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेते, तब तक हमें इसका कोई कारण नहीं दिखता कि अगले 4 हफ्ते की सीमित अवधि के लिए इस व्यवस्था को जारी क्यों नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे किसी भी पक्ष को कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा और इसके विपरीत प्राथमिक हित भी सुरक्षित रहेंगे।” हाईकोर्ट ने सरकार की उस शिकायत को भी खारिज कर दिया, जिसमें बच्चे गोद लेने के मामलों की सुनवाई में देरी की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि वह मामलों की सुनवाई में देरी की बात से सहमत नहीं हैं। बच्चे गोद लेने के मामलों में कोई बैकलॉग  नहीं है। ना ही ऐसे मामलों पर कभी स्थगन आदेश नहीं मांगा गया है। साथ ही हफ्ते भर में मामलों का निपटारा कर दिया जाता है। हाईकोर्ट अब इस मामले पर आगामी 14 फरवरी को सुनवाई करेगा। 


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